उपसंहार
![](http://178.128.105.246/cars-http-upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/a/af/1824-1826_R_Street_NW_-_Washington_DC_-_Embassy_of_Georgia_-_4.jpg/220px-1824-1826_R_Street_NW_-_Washington_DC_-_Embassy_of_Georgia_-_4.jpg)
![](http://178.128.105.246/cars-http-upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/2/2f/Ben_Johnson_-_NPC2.jpg/220px-Ben_Johnson_-_NPC2.jpg)
![](http://178.128.105.246/cars-http-upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/0/07/Grandville%2C_Autre_Monde%2C_Epilog.jpg/240px-Grandville%2C_Autre_Monde%2C_Epilog.jpg)
सामान्यत: किसी रचना (विशेष रूप से गद्य अथवा नाटकीय) के अन्त में प्रस्तुत किया जानेवाला वह हिस्सा जिसमें सम्पूर्ण कृति का सार, उसका अभिप्राय और स्पष्टीकरण (कभी-कभी निबंध के लिए॰प्रसंगेतर लेकिन तत्संबंधी आवश्यक, अतिरिक्त सूचनाएँ) समाविष्ट हों, उपसंहार (या, पुश्तलेख, या अन्त्यलेख ; अंग्रेजी में - ए॰िलॉग) कहलाता है।
मूलत: इसका उपयोग नाटकों में होता था जिनमें प्राय: नाटक के अन्त में नाटक का सूत्रधार अथवा कोई पात्र नाटक के बारे में श्रोताओं की धारणा को अनुकूल बनाने के लिए॰ए॰ संक्षिप्त वक्तव्य प्रस्तुत करता था। शेक्सपियर के एकाध नाटकों में इस प्रकार के उपसंहारों का महत्वपूर्ण स्थान है। बेन जानसन के नाटकों में इस पद्धति के नियमित व्यवहार का एक कारण यह भी कहा जा सकता है कि वह प्राय: श्रोताओं के सामने नाटक के दोषों को छिपाने के लिए॰ही इनकी योजना करता था। 1660 तक आते-आते जब नाटकों की परंपरा का ह्रास होने लगा तो इनका महत्त्व बहुत ज्यादा हो गया-यहाँ तक कि प्राय: नाटककार अथवा नाट्यनिर्देशक प्रसिद्ध कवियों से यह भाग लिखवाने लगे। इस स्थिति में की अच्छी समीक्षा ड्राइडन ने अपने विख्यात निबंध 'डिफेंस ऑव ए॰ीलोग' में की है।
वर्तमान समय के नाटककारों ने इसे इतना महत्त्व नहीं दिया। वर्तमान साहत्य में इसने नाटकों की अपेक्षा विचारात्मक और विवेचना��्मक और गवेषणात्मक निबंधों में वैज्ञानिकों, दार्शनिकों और अन्य विचारकों ने इसका पर्याप्त उपयोग किया है। कोश साहित्य और वैज्ञानिक अथवा गणनाप्रधान आलेखों में नए तथ्यों को बिना समूची पुस्तक को बदले अतिरिक्त पृष्ठों में सामग्री का आकलन कर सकना सहज हो गया है। सामान्यत: उपसंहार का उपयोग विवेचनात्मक साहित्य में अधिक होता है और अन्त्यलेख अथवा पुश्तलेख का उपयोग कोश अथवा अन्य तकनीकी साहित्य में।
k