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राह

विक्षनरी से

संज्ञा

मार्ग, पथ, रास्ता

उदाहरण

  1. राह में कांटे कभी न कभी मिल ही जाते हैं।

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

राह ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ राहु] दे॰ 'राहु' । उ॰—आव चाँद पुनि राह गिरासा । वह बिन राह सदा परकासा ।—जायसी (शब्द॰) ।

राह ^२ संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰]

१. मार्ग । पथ । रास्ता । मुहा॰—राह देखना या ताकना = प्रतीक्षा करना । आसरा देखना । डाका पड़ना । लूट पड़ना । बाट पड़ना । उ॰—कहै पदमाकर त्यों रोगन की राह परी दुःखन में गाह अति गाज का ।— पद्माकर (शब्द॰) । (२) रास्ते से आना । रास्ते पर जाना । राह लगना = (१) रास्ते से जाना । (२) आना काम देखना । अपने काम से काम रखना । (अन्य मुहा॰ के लिये दे॰ 'रास्ता' के मुहा॰) ।

२. प्रथा । रीति । चाल ।

३. नियम । फायदा ।

४. कोल्हू की नाली । यौ॰—राहखर्च । राहगीर । रहजन । राहदार = चौकीदार । राहनुमा = रहनुमा । रहनुमाई । राहनुमाई राहवर = रहवर । राहबरी = रहवरी । राहरस्म = राहरीति आदि ।

राह ^३ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ रोहू] दे॰ 'रोहु' । उ॰—पाहन ऊपर हेरै नाहीं । हना राह अजुन परछाहीं ।—जायसी (शब्द॰) ।

राह संज्ञा स्त्री॰ [अ॰]

१. हर्ष । खुशी ।

२. मदिरा । शराब [को॰] ।